“श्रियः प्रदुग्धे विपदी रुण‌द्धि यशांसि सूते मलिनं प्रमाष्टि।
सम्स्कारशीचेन परम् पुनीते शुद्धा हि बु‌द्धिः किल कामधेनुः॥”

 

अर्थात

विद्या वास्तव में कामधेनु है, जो संपति पदान करती है, विपत्तियों को रोकती है, यश दिलाती है, अशु‌द्धता का नाश करती है और अपने संस्कारमय पवित्रता से दूसरों को भी पवित्र करती है।
 

आदरणीय अभिभावकों  प्रिय विद्यार्थियों,
सादर वंदन !

 

शिक्षा का उद्‌देश्य केवल अंक प्राप्त करना नहीं है, बल्कि जीवन को संपूर्णता की ओर ले जाना है। हमारी प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति, जो ऋषि-मुनियों के मार्गदर्शन में संचालित होती थी, विश्व की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली थी। उस युग में, जब अन्य सभ्यताएं खानाबदोश जीवन जी रही थी, भारत की सिंधु घाटी सभ्यता अपनी ऊंचाई पर थी। हमारे ऋषि-मुनियों ने न केवल ऋग्वेद की रचना की, बल्कि विश्व को दशमलव शून्य, दिशा सूचक मंत्र, पंचांग, नृत्य, संगीत, ज्योतिष, साहित्य, चिकित्सा विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे महान उपहार दिए।
 
आज की शिक्षा प्रणाली, दुर्भाग्यवश, वि‌द्यार्थियों को केवल अंकों की दौड़ में उलझाकर संपूर्णता से दूर कर रही है। इस आगदौड में वि‌द्यार्थी तनाव का शिकार हो रहे हैं और मोबाइल तथा अन्य व्यसनों की ओर भटक रहे हैं। घर-परिवार में अनुशासन और आदर-भाव की कमी देखी जा रही है।
 
गुड है डिफेंस स्कूल की पूरी टीम इस दिशा में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। हमने शिक्षा प्रणाली मैं नवाचार करते हुए गुरुकुल प‌द्धति के माध्यम से वि‌द्यार्थियों में संस्कार और चरित्र का विकास करने की पहल की है। इसके साथ ही, सैनिक स्कूल पद्धति द्वारा बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया जा रहा है, ताकि वे तनावमुक्त होकर ज्ञानार्जन कर सकें और अपने जान का उपयोग राष्ट्र निर्माण में कर सके।
 
हमारा लक्ष्य केवल शिक्षित नागरिक नहीं, बल्कि संस्कारवान, सशक्त और जिम्मेदार राष्ट्र निर्माता तैयार करना है। 
 
धन्यवाद।
 सादर,
 
श्री बाबूलाल जुनेजा
 अध्यक्ष, गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट